क्या बदला: 28% से 18% और 28% से 40%—किसे फायदा, किसे झटका
भारत में बिकने वाले करीब 98% दोपहिये अब सस्ते होंगे। 56वीं GST काउंसिल मीटिंग (3 सितंबर 2025, नई दिल्ली) के बाद 22 सितंबर से 350cc तक की बाइक्स और स्कूटर पर GST दरें 28% से घटकर 18% हो जाएंगी। वहीं 350cc से ऊपर वाली प्रीमियम बाइक्स पर टैक्स 28% से बढ़ाकर 40% कर दिया गया है। यानी आम खरीदार के लिए राहत, हाई-परफॉर्मेंस सेगमेंट के लिए अतिरिक्त लागत।
सरकार दो लक्ष्य साधती दिखती है—आवागमन को सस्ता करना और लग्जरी/परफॉर्मेंस श्रेणी पर ज्यादा टैक्स लगाना। ऑटो इंडस्ट्री वर्षों से 125cc तक टैक्स कटौती मांग रही थी, लेकिन सरकार ने दायरा बढ़ाकर 350cc तक कर दिया। इससे 110–125cc कम्यूटर से लेकर 150–350cc की लोकप्रिय बाइक्स का बड़ा हिस्सा कवर हो गया—यही वॉल्यूम ड्राइवर है।
कितना सस्ता या महंगा? एक आसान गणित देखिए। अगर किसी बाइक का बेस (एक्स-फैक्ट्री) मूल्य 1,00,000 रुपये है, तो पहले 28% GST के साथ यह 1,28,000 रुपये (एक्स-शोरूम) पड़ती थी। अब 18% GST के साथ 1,18,000 रुपये पड़ेगी। यानी एक्स-शोरूम पर लगभग 7.8% की कमी (क्योंकि 0.10/1.28) दिखेगी। दूसरी तरफ, 350cc से ऊपर वाली बाइक्स पर 28% से 40% जाने का मतलब एक्स-शोरूम में करीब 9.4% की बढ़ोतरी (0.12/1.28) है। ध्यान रहे, ऑन-रोड कीमत में RTO टैक्स, इंश्योरेंस और अन्य शुल्क भी होते हैं, वे अलग से लागू रहेंगे—इसलिए कुल कमी/बढ़त राज्य-दर-राज्य थोड़ी अलग दिख सकती है।
कंपनियां क्या कर रही हैं? TVS मोटर कंपनी ने साफ कर दिया है कि वह घटे हुए टैक्स का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाएगी। कंपनी की एंट्री-लेवल बाइक्स (जैसे Sport, Radeon), स्कूटर (Jupiter, Ntorq) और 350cc तक की प्रीमियम रेंज (Apache, Raider, Ronin) की कीमतें 22 सितंबर से अपडेट होंगी। इंडस्ट्री ट्रेंड के लिहाज से बाकी बड़े ब्रांड भी ऐसी ही राह पकड़ें, इसकी उम्मीद डीलर नेटवर्क जता रहा है—क्योंकि कीमत सीधे डिमांड को हिट करती है।
इलेक्ट्रिक दोपहियों की बात अलग है। उन पर 5% GST पहले से लागू है और वही जारी रहेगा। यानी EV सेगमेंट की टैक्स एडवांटेज बरकरार है। यह सरकार की ई-मोबिलिटी को बढ़ावा देने वाली लाइन के अनुरूप है।
प्रीमियम बाइक्स पर असर सीधा है। 350cc से ऊपर वाले मॉडल—जैसे 390 सीरीज़, 400cc-स्पोर्ट्स, 650cc ट्विन्स, 700–900cc स्ट्रीट/एडवेंचर—की आउटगोइंग कीमत बढ़ेगी। इससे एंट्री-टू-प्रीमियम ग्रेजुएशन (जैसे 250–300cc से 400–650cc पर जाना) की गति धीमी पड़ सकती है। कुछ ग्राहक 350cc के भीतर वाले बेहतर-वैल्यू विकल्पों की तरफ मुड़ेंगे।
खरीदारों और बाजार पर असर: कीमत, EMI, स्टॉक्स, और नियम
फेस्टिव सीजन के सामने कीमत कटौती डिमांड को तेज कर सकती है। 18% GST का फायदा EMI पर भी दिखेगा। मान लीजिए किसी स्कूटर का एक्स-शोरूम पहले 90,000 रुपये था, अब टैक्स घटने के बाद यह लगभग 83,600–84,000 के आसपास आ सकता है (अनुमानित, बेस वैल्यू पर निर्भर)। 10% डाउन पेमेंट और 36 महीने के लोन पर EMI हर महीने कुछ सौ रुपये कम हो सकती है—कई खरीदारों के लिए यह निर्णायक फर्क होता है।
डीलरशिप स्तर पर पुराने स्टॉक और नई कीमतों का समन्वय बड़ा मुद्दा बनता है। 22 सितंबर से पहले बिल किए गए वाहनों पर पुरानी टैक्स दर लागू रही होगी। इसलिए जो ग्राहक डिलीवरी का इंतजार कर रहे हैं, वे बिलिंग की तारीख जांचें। आमतौर पर टैक्स बेनेफिट उसी इनवॉयस पर दिखता है जो नई दर लागू होने के बाद बना हो। कई डीलर पुराने स्टॉक पर क्रेडिट/प्राइस-प्रोटेक्शन जैसी पेशकश करते हैं, पर यह पूरी तरह कंपनी/डीलर पॉलिसी पर निर्भर है—खरीद से पहले लिखित पुष्टि लेना समझदारी है।
मिड-सेगमेंट (150–350cc) में प्रतिस्पर्धा और तेज होगी। ब्रेकिंग, सस्पेंशन, कनेक्टेड फीचर्स और वारंटी-मेंटनेंस पैकेज पर कंपनियां जोर बढ़ाएंगी, क्योंकि टैक्स कटने से ग्राहक अब एक से दो वेरिएंट ऊपर सोच सकते हैं। 125cc से 160cc में अपग्रेड, 160/180 से 250/300cc में शिफ्ट—यह मूवमेंट बिक्री बढ़ाएगा।
यूज्ड टू-व्हीलर बाजार पर भी असर पड़ेगा। नई बाइक्स सस्ती होने से 1–3 साल पुराने मॉडलों की री-सेल वैल्यू थोड़ी नरम हो सकती है, खासकर 350cc से नीचे के सेगमेंट में। हालांकि, इस्तेमाल की बाइक्स पर आम तौर पर GST तब लगता है जब कोई रजिस्टर्ड डीलर बेच रहा हो—अधिकतर मामलों में ‘मार्जिन स्कीम’ लागू होती है, यानी टैक्स पूरे मूल्य पर नहीं, डीलर के मार्जिन पर लगता है। व्यक्ति-से-व्यक्ति (C2C) बिक्री में आमतौर पर GST नहीं लगता।
लॉजिस्टिक्स और कागजी कार्रवाई में एक जरूरी बात—50,000 रुपये से ऊपर मूल्य की मोटरसाइकिल/स्कूटर की ढुलाई पर ई-वे बिल की जरूरत होती है, चाहे खरीदार GST में रजिस्टर्ड हो या नहीं। अगर आप इंटरसिटी/इंटरस्टेट ट्रांसपोर्ट करा रहे हैं, तो डीलर से ई-वे बिल और इनवॉयस की कॉपी अवश्य लें। इससे रास्ते में गाड़ी रोके जाने पर परेशानी नहीं होगी।
राज्यों का प्रभाव भी समझिए। ऑन-रोड कीमत में रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन फीस, MCD/ग्रीन सेस (जहां लागू), फास्टैग, हैंडलिंग चार्ज और इंश्योरेंस शामिल होते हैं। GST घटने से एक्स-शोरूम कम होगा, इसलिए कुछ राज्यों में रोड टैक्स (जो एक्स-शोरूम पर प्रतिशत के रूप में लगता है) का बिल भी थोड़ा कम आ सकता है। लेकिन कुल फायदा आपके राज्य की दरों पर निर्भर रहेगा—इसलिए प्राइस ब्रेकअप लिखित में लें।
प्रीमियम सेगमेंट की कंपनियां क्या करेंगी? 40% GST के बाद संभावित रणनीतियां तीन हो सकती हैं—(1) सीमित समय के प्रमोशन/फाइनेंस ऑफर, (2) अधिक लोकलाइजेशन करके कॉस्ट घटाना, (3) 350cc के भीतर नए हाई-वैल्यू मॉडल लाना। कुछ ब्रांड 350cc-सीमा के नीचे पावरट्रेन को ट्यून करने या नए प्लेटफॉर्म पर फोकस कर सकते हैं, ताकि वैल्यू-प्राइसिंग बनी रहे।
सप्लाई चेन पर असर मध्यम दिखेगा। 350cc से नीचे की भारी मांग को देखते हुए वेंडर ऑर्डर बुक बढ़ सकती है—टायर्स, ब्रेक, प्लास्टिक पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक्स (ECU/कनेक्टेड मॉड्यूल) की रन-रेट ऊपर जाएगी। दूसरी ओर, 350cc+ सेगमेंट में कुछ महीनों तक डिलीवरी प्लानिंग सावधानी से होगी ताकि महंगे इन्वेंट्री का बोझ न बढ़े।
खरीदारी का प्लान बना रहे हैं तो तीन चीजें पक्की करें—(1) इनवॉयस डेट 22 सितंबर या उसके बाद की हो, (2) प्राइस-प्रोटेक्शन/डिस्काउंट का लिखित उल्लेख, (3) ऑन-रोड ब्रेकअप में हर हेड (GST, RTO, इंश्योरेंस, हैंडलिंग) साफ हो। अगर आप 350cc के करीब किसी मॉडल पर विचार कर रहे हैं—जैसे 349–350cc रेंज—तो स्पेसिफिकेशंस ध्यान से पढ़ें; 350cc तक को छूट है, उससे ऊपर पर हाईर टैक्स लगेगा। एक छोटी सी तकनीकी डिटेल आपकी कुल कीमत तय कर सकती है।
इंडस्ट्री सेंटिमेंट पॉजिटिव है। एंट्री और कम्यूटर सेगमेंट में पेंडिंग रिप्लेसमेंट डिमांड जागेगी—ग्रामीण और सेमी-अर्बन मार्केट में खासकर। फाइनेंस पेनिट्रेशन बढ़ेगा तो पहली बार खरीदने वालों की हिस्सेदारी भी ऊपर जा सकती है। त्योहारों के दौरान रिकॉर्ड रिटेल की उम्मीद डीलर्स जता रहे हैं, बशर्ते डिलीवरी और फाइनेंस अप्रूवल में कोई बाधा न आए।
अंत में, यह बदलाव केवल कीमत की बात नहीं है, यह उपभोक्ता व्यवहार, प्रोडक्ट प्लानिंग, और सेगमेंट पोजिशनिंग को भी नया आकार देता है। 350cc तक की बाइक्स का वैल्यू-प्रपोज़िशन अब और मजबूत है, जबकि 350cc+ में खरीद फ़ैसला ज्यादा सोच-समझकर होगा—फीचर्स और ब्रांड के साथ कीमत का संतुलन पहले से ज्यादा मायने रखेगा।