आर्टिकल 370 की आसान समझ

आपको कभी लगता है कि भारत के संविधान में कुछ विशेष प्रावधान हैं जो अलग‑अलग क्षेत्रों पर लागू होते हैं? वही प्रावधान है आर्टिकल 370। यह लेख आपको बता देगा कि यह क्या था, क्यों बनाया गया और 2020 में क्या हुआ। पढ़ते‑पढ़ते आप इस मुद्दे की पूरी तस्वीर बना लेंगे।

आर्टिकल 370 का इतिहास

1947 में भारत स्वतंत्र हुआ, लेकिन जम्मू‑कश्मीर का रूलर अलग था। महाराजा हरि सिंह ने भारत से जुड़ने की शर्तें रखीं, जिसमें उनकी स्वायत्तता की गारंटी शामिल थी। इस शर्त को संविधान में आर्टिकल 370 के रूप में लिख दिया गया। इसके तहत जम्मू‑कश्मीर को अपना संविधान बनाने, अपना राष्ट्रपति चुनने और भारत के कई कानूनों को लागू न करने का अधिकार मिला।

मुख्य बात यह थी कि जम्मू‑कश्मीर के लोग भारत के सभी चुनावों में वोट नहीं दे सकते थे और वहाँ की भूमि खरीदने‑बेचने में प्रतिबंध था। इस व्यवस्था ने क्षेत्र को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से अलग रखा। समय‑समय पर आर्टिकल 370 को लेकर बहस होती रही, लेकिन इसे हटाने के लिए राजनैतिक सहमति नहीं बनी।

2020 में हुए प्रमुख बदलाव

16 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने एक विशेष निर्णय लिया। संसद में एक हल्का संशोधन करके आर्टिकल 370 को प्रभावी रूप से निलंबित कर दिया और जम्मू‑कश्मीर को दो यूनियन टेरिटरी—जम्मू‑कश्मीर और लद्दाख—में बाँट दिया। इस कदम से कई बदलाव आए:

  • जम्मू‑कश्मीर में अब भारत के सभी कानून लागू होते हैं, जैसे GST, रोजगार नियम आदि।
  • बाहरी लोग अब जमीनी संपत्ति खरीद‑बेच सकते हैं, जिससे निवेश के नए मौके खुलेंगे।
  • संविधानिक अदालतों के सामने क्षेत्र की विशेष स्थिति पर सवाल उठाने का रास्ता बंद हो गया।
  • सरकारी रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य योजनाएँ पहले से ज्यादा आसानी से पहुँचाई जा सकी।

इन बदलावों से कुछ लोग खुश हैं, क्योंकि उन्हें आर्थिक विकास की उम्मीद है। वहीं कुछ लोगों को लगता है कि उनकी पहचान और स्वायत्तता छीन ली गई। लेकिन यह बात साफ है कि अब जम्मू‑कश्मीर का भविष्य भारत के अन्य राज्यों की तरह ही नियत है।

यदि आप आर्टिकल 370 के बारे में और गहराई से जानना चाहते हैं, तो नोटिस रखें कि न्यूज़, सरकारी रिपोर्ट और विश्वसनीय विश्लेषकों की राय पढ़ना बेहतर रहेगा। अक्सर सोशल मीडिया पर गलत जानकारी फैलती है, इसलिए स्रोत की पुष्टि करना जरूरी है।

सारांश में, आर्टिकल 370 एक विशेष प्रावधान था जो जम्मू‑कश्मीर को अलग अधिकार देता था। 2020 में इसे हटाने से क्षेत्र को भारत के सामान्य नियमों के तहत लाया गया। अब सवाल यह है कि इस बदलाव से कैसे विकास, सुरक्षा और सामाजिक समरसता को आगे बढ़ाया जाए। आपके विचार और सवाल नीचे कमैंट में लिखें, हम चर्चा करेंगे।

अमित शाह: आर्टिकल 370 से देश और कश्मीर को कोई फायदा नहीं?

के द्वारा प्रकाशित किया गया जितेंद्र कुमार परशुराम पर 2 मार्च 2023

अमित शाह ने वार्तालाप में बताया कि कश्मीर के लिए आर्टिकल 370 के अनावश्यक हटाए जाने से कोई फायदा नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि कश्मीर के लोगों ने देश की सुरक्षा और विश्वास को लेकर अपना क़दम उठाया है। उन्होंने कहा कि अगर आर्टिकल 370 वापस लाया जाता है तो केवल न्याय को सम्मान मिलेगा। उन्होंने कहा कि देश को कश्मीर के बारे में अधिक स्वागत करना चाहिए। (आगे पढ़ें)